सनी लियोन तो खूब है, मगर डर की डोज कम है रागिनी एमएमएस2 में

फिल्म रिव्यूः रागिनी एमएमएस 2
एक्टरः सनी लियोन, प्रवीण डबास, संध्या मृदुल, करण मेहरा और साहिल प्रेम
डायरेक्टरः भूषण पटेल
रेटिंगः 5 में 2 स्टार

‘सबको लगता है कि पॉर्न स्टार है, तो चालू है. हर किसी के साथ सोती होगी. हर किसी के भद्दे मजाक को सिर आंखों पर लेती होगी. खिलखिलाती होगी. उसकी कोई फीलिंग्स नहीं होगी. और तब सनी लियोन राइटर सत्या की तरफ और हमारी तरफ देखते हुए सवाल पूछती है. हर मर्द मुझे वेश्या क्यों समझता है. सत्या इस सवाल पर ठिठक जाता है. फिर जवाब देता है. क्योंकि उनका दिमाग सिर में नहीं पैंट में होता है. मगर मैं ऐसा नहीं हूं.’
रागिनी एमएमएस 2 के इस एक सीन को याद कर रहा हूं और सोच रहा हूं कि क्या कभी भारत की जनता सनी लियोन को उनकी अडल्ट फिल्म स्टार की इमेज से पार देख पाएगी. और जनता ही क्यों, ये बात डायरेक्टर पर भी लागू होती है. फिल्म रागिनी एमएमएस में सनी लियोन के खूबसूरत शरीर को हर मुमकिन ढंग से उघाड़ दिखाने की कई संभावनाएं तलाशी गईं. और इसके लिए तर्क क्या. कि ये फिल्म हॉरेक्स है. सेक्स और हॉरर का मेल. हॉरर कभी है, कभी नहीं है. सेक्स बहुत है. और जिस सिंगल स्क्रीन थिएटर में मैं देख रहा था, वहां की चीखें और कथित पौरुष भरे मजाक और टिप्पणियां बता रही थीं कि एकता कपूर की ये ट्रिक काम कर रही है. मगर रागिनी एमएमएस 2 स्टोरी और एक्टिंग, इन दो मोर्चों पर फिल्म पिछड़ जाती है. अगर आप अच्छे ट्विस्ट वाली हॉरर फिल्म देखने की उम्मीद पाल रहे हैं, तो सॉरी. अगर मसाले चाहिए, बेबी डॉल चाहिए तो गो फॉर इट.
 
 
क्या है कहानी इस बार
पिछली फिल्म में हमने देखा कि उदय अपनी गर्लफ्रेंड रागिनी के साथ डर्टी वीकएंड मनाने के लिए जंगल में बने एक बंगले में जाता है. साथ में उसका प्लान एमएमएस बनाने का है. मगर वहां होता है चुड़ैल का प्रकोप. उदय मर जाता है. रागिनी पागल हो जाती है. अब आगे. डायरेक्टर रॉक्स (प्रवीण डबास) ने फैसला किया है इस स्टोरी पर फिल्म बनाने का. रागिनी का रोल करेंगी पॉर्न स्टार सनी लियोन. जी फिल्म में वह अपना ही रोल निभा रही हैं. साथ में होंगे टीवी स्टार करण (करण मेहरा). इसके अलावा फिल्म के राइटर सत्या (साहिल प्रेम) भी क्रू के साथ-साथ हर वक्त चलते रहते हैं. गोया स्क्रिप्ट पहले से लिखने का चलन अभी तक आया न हो.
शूट के लिए जगह चुनी गई वही भुतहा बंगला, जहां एमएमएस कांड हुआ था. शूट होता है और साथ में कभी सपनों में, तो कभी चुड़ैल के रूप बदल के चलते बार बार सेक्स सीन आने लगते हैं. बीच बीच में टीवी का, प्रॉड्यूसर्स का, कास्टिंग काउच के लिए मरी जा रही एक्ट्रेसेस का मजाक बनाने की कोशिश होती है. उधर अमेरिका से लौटी एक डॉक्टर मीरा (दिव्या दत्ता) रागिनी के पागलपन को समझने की कोशिश कर रही हैं. आखिर में बंगले के भुतिया होने का राज खुलता है. सत्या और सनी में सच्चा प्यार होता है और इस क्रम में कई लोग गुजर जाते हैं.मैंने कहा था न. स्टोरी में नयापन नहीं है.
एक्टिंग और गाने कैसे हैं
यही बात एक्टिंग पर भी लागू होती है. अगर सनी की बात करें, तो उनमें काफी इंप्रूवमेंट नजर आता है. जिस्म2 और जैकपॉट के मुकाबले यहां वह सिर्फ स्किन शो करती नजर नहीं आतीं. मगर रॉक्स के रोल में प्रवीण डबास बहुत लाउड नजर आते हैं. संध्या मृदुल ने डेस्पो साइड एक्ट्रेस के रोल में मेहनत की है. मगर किरदार कुछ ही समय बाद रिपीट टोन बजाने लगता है. राइटर के रोल में सत्या बहुत फ्लैट लगते हैं. गोया उन्हें सनी के मासूम और बलशाली महबूब के खांचे को टिक करने के लिए रख लिया गया हो.
फिल्म के गाने, बेबी डॉल में सोने दी और चार बोतल वोडका पहले ही सुपरहिट हो चुके हैं. फिल्म में उनकी टाइमिंग भी ठीक है. कैमरा वर्क साधारण है और क्लाइमेक्स बहुत सतही. फिल्म में वही तरीके अपनाए गए हैं, जिन्हें अस्सी के दशक में रामसे ब्रदर्स दिखाया करते थे. फिल्म एक आध जगह ही ढंग से डरा पाती है. बाकी तो चीख और शकल बदल का सहारा है बस. हो सकता है कि डायरेक्टर भूषण पटेल अपनी पहली फिल्म 1920 ईविल रिटर्न्स बनाने के बाद मसालों की ओवरडोज दे मेनस्ट्रीम में आना चाहते हों.